पर्यावरण संरक्षण और हिमालय के ग्लेशियरों को बचाने के उद्देश्य से ग्लेशियर लेडी के नाम से प्रसिद्ध शांति ठाकुर ने गंगोत्री ग्लेशियर समेत अन्य प्रमुख ग्लेशियरों में 15 वर्षों तक मानवीय गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है।
ग्लेशियरों पर बढ़ते खतरे
गंगोत्री ग्लेशियर, उत्तराखंड का सबसे बड़ा ग्लेशियर है, जो जलवायु परिवर्तन और बढ़ती मानवीय गतिविधियों के कारण तेजी से पिघल रहा है।
कम बर्फबारी के कारण यह ग्लेशियर अब पहले की तरह रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। हेलीकॉप्टर पर्यटन और चारधाम यात्रा के बढ़ने से ग्लेशियरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। हिमालय में 9,575 ग्लेशियर हैं, जिनमें से उत्तराखंड में लगभग 3,600 ग्लेशियर स्थित हैं।
ग्लेशियर संरक्षण के लिए प्रमुख मांगें
- 15 वर्षों तक गंगोत्री और अन्य प्रमुख ग्लेशियरों में मानवीय आवाजाही पर प्रतिबंध।
- सरकार को ग्लेशियरों की पिघलने की गति पर शीघ्र सर्वे कर आंकड़े एकत्र करने चाहिए।
- हिमालय ग्लेशियर संरक्षण समिति का गठन किया जाए, जिसमें अधिकारी, वैज्ञानिक, सैन्य विशेषज्ञ और पर्यावरणविद शामिल हों।
- बच्चों के पाठ्यक्रम में कक्षा-प्रथम से हिमालय और ग्लेशियरों का विषय जोड़ा जाए।
- चारधाम यात्रा के दौरान रात्रि विश्राम पर रोक लगाई जाए।
- हेलीकॉप्टर पर्यटन पर प्रतिबंध लगाया जाए।
- पहाड़ों में स्वीकृत रेल परियोजनाओं को निरस्त किया जाए।
- डबल लेन सड़कों के निर्माण पर रोक लगाई जाए (पहले से स्वीकृत डबल लेन सड़कों को छोड़कर)।
- पर्यटन और तीर्थाटन में अंतर किया जाए, ताकि धार्मिक स्थलों को संरक्षित रखा जा सके।
- पर्वतारोहियों के लिए कृत्रिम ग्लेशियर और साहसिक खेल गतिविधियों का आयोजन किया जाए, जिससे वास्तविक ग्लेशियरों को नुकसान न पहुंचे।
शांति ठाकुर ने सरकार से ग्लेशियरों को संरक्षित करने के लिए त्वरित और कठोर कदम उठाने की अपील की है, ताकि हिमालय की यह अनमोल धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रह सके।