सरकार ने अब तक 136 मदरसों को कागजात की कमी के कारण सील किया है। राज्य में करीब 450 पंजीकृत मदरसे हैं, जो शासन को अपने दस्तावेज, बैंक खाते और आय-व्यय की पूरी जानकारी प्रस्तुत करते हैं। वहीं, अनुमान है कि 500 से अधिक ऐसे मदरसे हैं जो बिना किसी मान्यता के संचालित हो रहे हैं। इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों का सत्यापन और आर्थिक स्रोतों की जांच अब सरकार द्वारा की जा रही है। उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने सरकार की इस कार्रवाई को सही ठहराया है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार ईमानदारी और पारदर्शिता के लिए जानी जाती है। मदरसे भी पारदर्शिता के आधार पर शिक्षा देते हैं। अगर पारदर्शिता और ईमानदारी सिखाई जा सकती है, तो मदरसों को अपनी आय के स्रोत बताने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। यह कार्रवाई किसी खास समुदाय या मदरसों को निशाना बनाने के लिए नहीं है।”
प्रदेश में बिना मान्यता चल रहे 88 मदरसों में से 48 मदरसों को मदरसा बोर्ड की मान्यता मिली है। जबकि 40 मदरसों के प्रकरणों की फिर से जांच होगी। विभाग के निदेशक राजेंद्र कुमार के मुताबिक कमियां दूर होने के बाद ही उन्हें मान्यता दी जाएगी। प्रदेश में कई मदरसे बिना मान्यता चल रहे हैं। मदरसा संचालकों का कहना है कि इसके लिए मदरसा बोर्ड में आवेदन किया हुआ है, लेकिन मान्यता के लिए सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी पिछले कई साल से उन्हें मान्यता नहीं मिली।
वहीं, बिना मान्यता के नाम पर उन्हें सील किया जा रहा है। जो उनके साथ अन्याय है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक राजेंद्र कुमार के मुताबिक राज्य में 88 मदरसों ने मान्यता के लिए आवेदन किया था। जिनके मान्यता के प्रकरण लंबित थे, इसमें से 48 को मान्यता दी जा चुकी है। वहीं अन्य के मामले में फिर से जांच के लिए कहा गया है। वहीं, 49 मदरसों की मान्यता का नवीनीकरण किया गया है। 48 मदरसों को मान्यता मिलने के बाद राज्य में अब मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या बढ़कर 452 हो गई है।