उत्तराखंड की पांच संसदीय सीटों पर मंगलवार को जनादेश आ जाएगा। प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा लगातार तीसरी बार पांचों सीटें जीतकर हैट्रिक लगाएगी या विपक्ष बाजी उलट कर चौंकाएगा। ईवीएम और मतपत्रों की गिनती के साथ ही यह खुलासा हो जाएगा कि उत्तराखंड का मतदाता किस तरफ है। उसे फिर डबल इंजन की दरकार है या वह बदलाव चाहता है। 2014 और 2019 के चुनाव में पांचों सीटों पर जनादेश भाजपा के पक्ष में ही गया था। प्रदेश में 19 अप्रैल को मतदान हुआ था। इसमें 47 लाख से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 45 दिनों के इंतजार के बाद चुनावी इम्तहान का नतीजा खुलने की घड़ी नजदीक आते ही राजनीतिक दलों व उनके प्रत्याशियों व समर्थकों के दिलों की धड़कने भी तेज हो गई हैं।

चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने सभी पांचों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। बसपा और सपा समेत निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी ताल ठोंकी। गढ़वाल और अल्मोड़ा संसदीय सीट पर पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं ने अधिक वोट किया। यानी इन दोनों सीटों पर महिला मतदाताओं की भूमिका अहम मानी जा रही है। नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय सीट पर भाजपा के केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट, हरिद्वार सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और गढ़वाल संसदीय सीट पर भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी की प्रतिष्ठा दांव पर मानी जा रही है।

आंकड़ों पर भी डालिए नजर

– 55 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होना है आज।

– 57.22 प्रतिशत मतदाताओं ने किया था मतदान।

– 47 लाख से अधिक मतदाता लिखेंगे हार-जीत इबारत।

– 14 सबसे अधिक प्रत्याशी हरिद्वार लोस सीट पर।

– 61.88 प्रतिशत मतदान हुआ था 2019 के चुनाव में।

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