उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने 15 अप्रैल को एक आदेश जारी कर पतंजलि के 14 उत्पादों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं. ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ एक्ट का उल्लंघन करने के लिए रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि के ख़िलाफ आपराधिक शिकायत भी दर्ज की गई है. जिन उत्पादों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं उनमें स्वासारि गोल्ड, स्वासारि वटी, ब्रोंकोम, स्वासारि प्रवाही, स्वासारि अवलेह, मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आईग्रिट गोल्ड और पतंजलि दृष्टि आईड्रॉप शामिल है.

राज्य सरकार की ओर से ये कार्रवाई ऐसे समय हुई है जब सुप्रीम कोर्ट में रामदेव और पतंजलि के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण के ख़िलाफ़ अदालत के आदेशों की अवहेलना करने के मामले पर सुनवाई हो रही है. 23 अप्रैल को पिछली सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने समाचार पत्रों में अपनी माफी को “प्रमुखता से” प्रदर्शित नहीं करने के लिए पतंजलि की खिंचाई की थी । अदालत ने पूछा था कि क्या पतंजलि द्वारा अखबारों में दी गई माफी का आकार उसके उत्पादों के लिए पूरे पेज के विज्ञापन के समान था। पतंजलि ने कहा था कि उसने 67 अखबारों में माफीनामा प्रकाशित किया है और कहा है कि वह अदालत का पूरा सम्मान करता है और अपनी गलतियों को नहीं दोहराएगा।

पतंजलि फूड्स को जीएसटी खुफिया विभाग ने कारण बताओ नोटिस भेजा है, जिसमें कंपनी से यह बताने को कहा गया है कि उससे 27.46 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट क्यों नहीं वसूला जाना चाहिए। 26 अप्रैल को कंपनी की ओर से नियामक को दी गई जानकारी के अनुसार, उसे जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय, चंडीगढ़ जोनल यूनिट से मिले नोटिस में यह भी कहा गया है कि कंपनी पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए।

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