हिमालयी राज्यों में आपदा की दृष्टि से खतरनाक हिमनद झीलों से संभावित क्षति के न्यूनीकरण को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय सतर्क हो गया है। हिमालयी राज्यों में ऐसी 188 हिमनद झीलें चिन्हित की गई हैं। इनमें उत्तराखंड की 13 झीलें भी शामिल हैं, जिनमें से पांच को जोखिम की दृष्टि से अति संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। खतरे को देखते हुए गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग ने इनका ट्रीटमेंट करने के निर्देश देते हुए वैज्ञानिकों की टीमों का गठन कर दिया है।

आपदा प्रबंधन डिवीजन ने हिमालयी राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ हिमनद झीलों के विस्फोट से आने वाली बाढ़ नियंत्रण पर वर्चुअल बैठक ली। बैठक में राज्य की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा शामिल हुए। कई तकनीकी संस्थानों के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए बताया गया कि हिमालयी राज्यों में 188 हिमनद झीलें खतरे में हैं, जिनमें से 13 उत्तराखंड की हैं। रिस्क फैक्टर पर इन 13 झीलों को ए, बी व सी श्रेणी में बांटा गया है।

अति संवेदनशील ए श्रेणी में चमोली की एक और पिथौरागढ़ की चार झीलें शामिल हैं। संवेदनशील बी श्रेणी में चार झीलें हैं, जिनमें चमोली की एक, टिहरी की एक और पिथौरागढ़ की दो झीलें शामिल हैं। बाकी चार कम संवेदनशील झीलें हैं। ए श्रेणी की पांच अतिसंवेदनशील झीलों के जोखिम आकलन और सर्वे का काम मई-जून में किया जाएगा। पहले फेज में सेटेलाइट डाटा एकत्रित होगा। बैथेमेट्री सर्वे किया जाएगा। इसके बाद जुलाई-अगस्त में यहां अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाए जाएंगे और आपदा न्यूनीकरण के काम होंगे। इसके लिए दो टीमें बनाई गई हैं।

Share.

Leave A Reply

Exit mobile version