हरिद्वार लोकसभा सीट के टिकट का फैसला करने में कांग्रेस को 11 दिन अतिरिक्त समय लेना पड़ा, लेकिन टिकट का फैसला आखिरकार पूर्व सीएम हरीश रावत की पसंद के अनुसार ही हुआ। एक तरह से पार्टी को अपने सबसे वरिष्ठ नेता की जिद के आगे झुकना पड़ा। कांग्रेस के तीन प्रत्याशियों की घोषणा 12 मार्च को ही हो चुकी थी, लेकिन हरिद्वार सीट पर हरीश रावत के अड़ जाने के कारण टिकट वितरण का मामला कुछ ज्यादा ही लंबा खिंच गया। दरअसल, इस सीट पर एक तरफ जहां खुद हरीश परिवार (हरीश रावत और उनके पुत्र वीरेंद्र रावत) दावेदार थे तो दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्षकरन माहरा और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत भी दावेदार बने हुए थे।

शनिवार देर रात पार्टी आलाकमान ने जैसे ही प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया, तो सब चौंक गए। पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुकाबले में कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे विरेंद्र रावत को प्रत्याशी घोषित किया है। विरेंद्र के राजनैतिक कॅरियर का यह पहला चुनाव है। उधर, नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट पर केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट के मुकाबले में कांग्रेस ने युवा प्रकाश जोशी को मैदान में उतारा है। प्रकाश इससे पहले वर्ष 2012 और 2017 का विधानसभा चुनाव कालाढूंगी से हार चुके हैं। संगठन में कई जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं।

कांग्रेस में हरिद्वार लोकसभा सीट पर पूर्व सीएम व पूर्व केंद्रीय मंत्री हरीश रावत का नाम चर्चाओं में था जबकि नैनीताल सीट पर पूर्व सांसद महेंद्रपाल सिंह का नाम चर्चाओं में था। लेकिन कांग्रेस के इस कदम से सभी चौंक गए हैं। माना जा रहा है कि सर्वाधिक 20 लाख से ऊपर मतदाताओं वाली इन सीटों पर अब मुकाबला भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और कांग्रेस के युवा चेहरों के बीच होने जा रहा है।

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