उत्तराखंड के चंपावत में रक्षाबंधन का त्योहार अलग ही ढंग से मनाया जाता है। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए युगों पुरानी परंपरा आज भी इस डिजिटल युग में अपनाई जाती है। इस त्योहार के दिन लोग एक-दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं। इस परंपरा को ‘बग्वाल’ कहा जाता है जिसका अर्थ है लड़ाई। सदियों से चल रहे इस अनोखे युद्ध की एक अलग खासियत और रोमांच है। इस खेल में शामिल होने वाले लोग अलग-अलग गुटों में बंट जाते हैं और एक-दूसरे पर जमकर पत्थरबाजी करते हैं। पत्थरबाजी करने के बाद सभी गुट के लोग गले मिलकर खुशियां मनाते हैं।  आगे पढ़ें:

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चंपावत के बग्वाल मेला के लोकप्रिय मां बाराही धाम देवीधूरा में हर साल यह युद्ध आयोजित होता है और इसे देखने के लिए देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोग आते हैं। इस खेल के दौरान कोई भी किसी को निशाना बनाकर पत्थर नहीं फेंकता है। उनका उद्देश्य एक खेमे से दूसरे खेमे में पत्थर पहुंचाना होता है। लेकिन, हर साल इस खेल में दर्जनों लोग घायल होते हैं। घायल होने के बावजूद खेल खेलने के लिए और देखने वालों में इसको लेकर जबरदस्त उत्साह रहता है। माना जाता है कि नर बलि की परम्परा के अवशेष के रुप में ही बग्वाल मेला का आयोजन होता है।

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