रविवार की शाम को अचानक से हरिद्वार के भीमगोड़ा बैराज का गेट नंबर दस टूट गया। जिससे गंगा का जलस्तर शाम सात बजे 293.15 मीटर पर पहुंच गया, जो चेतावनी रेखा के 293 मीटर से ऊपर है। गंगा में ऊफान ने मेरठ समेत यूपी के कई जिलों में खतरा पैदा कर दिया है, जिसको लेकर प्रशासन अलर्ट हो गया है। उधर, गेट टूटने से जिला प्रशासन की ओर से गंगा के किनारों पर बसे इलाकों में अलर्ट घोषित कर दिया गया। जिससे पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही बाढ़ राहत चौकियों पर तैनात कर्मचारियों की ओर से गंगा किनारों पर रहने वाले लोगों को एनाउंसमेंट कर सतर्क रहने की अपील की गई।

रविवार को गंगा में श्रीनगर डैम से अतिरिक्त पानी छोड़ने की सूचना प्रसारित की गई थी। दिन में पानी छोड़ना शुरू कर दिया गया। जिससे सामान्य दिनों में जहां गंगा में 80 हजार क्यूसेक पानी चल रहा था। श्रीनगर डैम से पानी आने से गंगा में दो लाख 255 क्यूसेक तक पानी छोड़ा गया। हालांकि, इससे गंगा में पानी छोड़े जाने से कोई किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ। अधिकारियों की निगाहें दिनभर गंगा के जलस्तर पर बना रहा। लेकिन रविवार शाम को अचानक से भीमगोड़ा बैराज का गेट नंबर दस टूट गया। इससे गंगा का जलस्तर शाम सात बजे 293.15 मीटर पर पहुंच गया, जो चेतावनी रेखा के 293 मीटर से ऊपर है।

गंगा का जलस्तर बढ़ने से उत्तराखंड के निचले इलाकों के साथ ही उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में भी नुकसान हो सकता है। जिसमें बिजनौर, बुलंदशहर आदि जिलों में गंगा का पानी क्षति पहुंचा सकता है। इसलिए उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की ओर से संबंधित जिलों के अधिकारियों को भी अलर्ट कर दिया गया है। गेट टूटने पर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता नलिन वर्धन जवाब देने से बचते हुए नजर आए। उनसे जब भीमगोड़ा बैराज का फाटक टूटने की जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया गया है। इससे साफ है कि वह अपनी जिम्मेदारी के प्रति कितने लापरवाह हैं और उनकी कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

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