समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने को गठित विशेषज्ञ समिति अपना काम पूरा कर चुकी है। समिति अब शीघ्र ही यह ड्राफ्ट सरकार को सौंपेगी। फिर सरकार इसका परीक्षण करने के बाद इसे विधिक स्वरूप देने के लिए विधानसभा से विधेयक पारित कराएगी। समान नागरिक संहिता को लेकर केंद्र के स्तर पर भी मंथन चल रहा है, लेकिन राज्य सरकार चाहेगी कि वह यहां शुरू की गई पहल को सबसे पहले लागू करे। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही धामी सरकार अब इससे संबंधित विधेयक सदन में पारित कराएगी। इसके लिए जुलाई में ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण की मुलाकात के बाद यह चर्चा तेज हुई है। यह भी माना जा रहा है कि वर्ष 2017 से लटके लोकायुक्त विधेयक पर प्रवर समिति से रिपोर्ट लेकर इससे संबंधित विधेयक भी पारित कराया जा सकता है। सदन में विधेयक पारित कराकर ही इसे कानूनी जामा पहनाया जा सकता है। इसके लिए विधानसभा का सत्र आहूत करना आवश्यक है। वैसे भी विधानसभा का पिछला सत्र मार्च में हुआ था। छह माह के भीतर अगला सत्र होना आवश्यक है और यह अवधि भी पास आ रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता के लिए आवश्यकता पड़ेगी तो विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट मिलते ही सरकार इसे लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेगी। न्होंने कहा कि विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। कमेटी अब उसकी रिपोर्ट का संकलन कर रही है। आशा है कि सरकार को जल्द ड्राफ्ट रिपोर्ट मिल जाएगी। समिति ने पिछले एक साल से अधिक की अवधि में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर हितधारकों, समाज के विभिन्न वर्गों, धार्मिक संगठनों और प्रबुद्धजनों से संवाद और पत्राचार के माध्यम से 2.30 लाख सुझाव प्राप्त किए हैं।

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