उत्तराखंड हाईकोर्ट को नैनीताल से किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने का मामला 2019 से ही गरमाया हुआ है, कुछ इसका विरोध कर रहे हैं तो कई इसके पक्ष में हैं। साल 2000 में, जब उत्तराखंड राज्य को उत्तर प्रदेश से अलग किया गया था, उसी समय नैनीताल में उत्तराखंड हाईकोर्ट की स्थापना भी की गई थी, जिसमें जस्टिस अशोक ए देसाई इसके संस्थापक मुख्य न्यायाधीश थे। आपको बता दें 2019 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 26 जून को अपनी वेबसाइट पर हाईकोर्ट को नैनीताल से कहीं और शिफ्ट करने पर सभी हितधारकों के विचार मांगे थे, जिसके बाद हाईकोर्ट को स्थानीय होटल व्यवसायियों, रेस्तरां मालिकों, व्यापारियों, स्थानीय निवासियों, दुकानदारों, विभिन्न संघों सहित अन्य हितधारकों से हजारों सुझाव प्राप्त हुए थे।

उत्तराखंड एडवोकेट फ्रंट के संयोजक एमसी कांडपाल द्वारा हाईकोर्ट को नैनीताल से कहीं और शिफ्ट करने के संबंध में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन को दिए गए प्रतिनिधित्व के बाद हाईकोर्ट ने सुझाव मांगे थे। ज्यादातर लोगों ने सुझाव दिया था कि हाईकोर्ट को नैनीताल से एचएमटी कॉम्प्लेक्स हल्द्वानी, रामनगर, काशीपुर, ऋषिकेश, देहरादून आदि स्थानों पर शिफ्ट किया जाना चाहिए। अब केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने उच्च न्यायालय को स्थानांतरित करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इसकी जानकारी दी है। अपने पत्र में केंद्रीय मंत्री ने लिखा है कि राज्य सरकार द्वारा हल्द्वानी में उच्च न्यायलय के लिए आवश्यक अवस्थापना उपलब्ध कराने पर केंद्र सरकार उत्तराखंड उच्च न्यायालय को नैनीताल से हल्द्वानी शिफ्ट करने की अधिसूचना की प्रक्रिया प्रारंभ कर देगी। केंद्रीय मंत्री ने इस संबंध में राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह (सेनि.) और मुख्य न्यायायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघवी को भी पत्र लिखकर इसकी जानकारी दे दी है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में राज्य सरकार के प्रस्ताव का जिक्र किया है। सीएम को संबोधित पत्र में उन्होंने लिखा है कि राज्य सरकार उच्च न्यायालय को संचालित करने के लिए बुनियादी ढांचा प्रदान करने और पूरा खर्च वहन करने के लिए उत्तरदायी है। राज्यपाल के परामर्श से उच्च न्यायालय को नैनीताल स्थानांतरित करने के मामले की जांच की गई है। दोनों सांविधानिक प्राधिकारियों ने इस पर अपनी सहमति दी है। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, उच्च न्यायालय के लिए बुनियादी ढांचे की उपलब्धता की पुष्टि के बाद राष्ट्रपति के अनुमोदन से अधिसूचना जारी हो जाएगी और मुख्य सीट अपने स्थान से काम करना शुरू कर देगी। हल्द्वानी में चिन्हित स्थल पर न्यायाधीशों और कर्मचारियों के लिए आवास सहित सभी आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के बाद उच्च न्यायालय की मुख्य सीट को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया आरंभ होगी।

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