अब पहाड़ के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले बीमार व्यक्तियों तक इस माध्यम से दवा पंहुचाकर उनका समय रहते इलाज शुरू किया जा सकेगा। इसके अलावा इस सुविधा से आपात स्थिति में फंसे व्यक्तियों तक भी तत्काल दवा अथवा इलाज से संबंधित मेडिकल उपकरण पहुंचाए जा सकेंगे। एम्स ऋषिकेश से ड्रोन के माध्यम से पहाड़ी क्षेत्रों के मरीजों के लिए दवा पहुंचाई जा सकेगी। गुरुवार को एम्स से टिहरी स्थित जिला चिकित्सालय दवा पहुंचाकर इसका सफल ट्रायल किया गया। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) ऋषिकेश ने गुरुवार को पर्वतीय क्षेत्र में ड्रोन से दवा पंहुचाने में सफलता पाई है।

ड्रोन से टीबी के मरीजों के लिए टिहरी जिला चिकित्सालय में दवा भेजी गई। एम्स ऋषिकेश से ड्रोन ने टिहरी तक 36 किमी की यह हवाई दूरी 29 मिनट में पूरी की। खास बात ये है कि 2KG भार की दवा ले जा रहे ड्रोन ने 40 किमी की दूरी करीब 30 मिनट में तय की जबकि आम तौर पर इस दूरी को तय करने में 2 घंटे का वक्त लगता है. आपको बता दें कि ड्रोन को लेकर अब आगे की योजना सरकार की तरफ से जल्द सामने आएगी. सरकार ने आपातकालीन स्थिति में हिली एरिया में दवाई और टेस्ट की सुविधा ड्रोन के ज़रिए उपलब्‍ध कराने को लेकर गंभीर रुख दिखाया है.

एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. डा. मीनू सिह ने कहा कि उत्तराखंड विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है। इस तकनीक का प्रयोग करने वाला एम्स ऋषिकेश देश का पहला संस्थान है। उन्होंने बताया कि चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों के घायल हो जाने अथवा गंभीर बीमार हो जाने की स्थिति में, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में फंसे जरूरतमंदों तक दवा पहुंचाने में भी इससे सुविधा होगी। साथ ही दूरस्थ क्षेत्रों से एम्स तक आवश्यक सैंपल लाने में इस तकनीक का विशेष लाभ मिलेगा।

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