जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से लोगों पर खतरा बढ़ता जा रहा है। सरकार ने जोशीमठ शहर में जानमाल की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया है। शहर के लगभग डेढ़ किलोमीटर के भूधंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है।जोशीमठ में तबाही के बीच लोगों के मन में सवाल है कि आखिर उनके शहर में ये क्यों हो रहा है। क्या बद्रीनाथ और जोशीमठ को लेकर जो भविष्यवाणी है वह सच होने की राह पर है। बता दें कि जोशीमठ में स्थित नृसिंह मंदिर जहां भगवान बद्रीनाथ की शीतकालीन गद्दी है। यहां मंदिर में भगवान नृसिंह की एक प्राचीन मूर्ति है। भगवान नृसिंह की मूर्ति को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। दरअसल, नृसिंह भगवान का एक बाजू सामान्य है जबकि दूसरा बाजू काफी पतला है और यह साल दर साल और पतला होता जा रहा है। आगे पढ़ें:

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मान्यता है कि जिस दिन नृसिंह भगवान का पतला हो रहा हाथ टूट जाएगा उस दिन बद्रीनाथ का मार्ग बंद हो जाएगा। नर नारायण पर्वत एक हो जाएंगे। भगवान बद्रीनाथ के भक्त भगवान बद्रीनाथ के दर्शन उस मंदिर में नहीं कर पाएंगे जहां पर वर्तमान में भगवान बद्रीनाथ भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। क्योंकि नर-नारायण पर्वत के मिल जाने से बद्रीनाथ धाम लुप्त हो जाएगा। इसके बाद से भगवान बद्रीनाथ के दर्शन भक्तों को भविष्य बद्री में मिल सकेगा। जोशीमठ से बद्रीनाथ का मार्ग जब नर नारायण पर्वत के मिल जाने से बंद हो जाएगा तब भगवान बद्रीनाथ भक्तों को भविष्य बद्री में दर्शन देंगे। यहां एक शिला है जिस पर अभी अस्पष्ट आकृति है कहते हैं कि भगवान की यह आकृति धीरे-धीरे उभर रही है। जिस दिन यह आकृति पूरी तरह से उभर कर आ जाएगी उस समय से बद्रीनाथ भगवान भविष्य बद्री में ही भक्तों को दर्शन देंगे।

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