पूर्व मुख्यमंत्री और उत्तराखंड कांग्रेस का सबसे बड़ा चहरा हरीश रावत ने कुछ समय के लिए विश्राम ले लिया है। इसके साथ ही उन्होंने सन्यास लेने का भी संकेत दिया। साफ किया कि भारत जोड़ो यात्रा के एक महीने बाद वे स्थानीय और राष्ट्रीय परिस्थितियों का विवेचन कर अपना कर्म क्षेत्र और कार्यप्रणाली का निर्धारण करेंगे। हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर जारी बयान में कहा कि अब थोड़ा विश्राम अच्छा है। वे आशीर्वाद मांगने भगवान बद्रीनाथ के पास गए। भगवान के दरबार में मेरे मन ने मुझसे स्पष्ट कहा कि आप उत्तराखंड के प्रति अपना कर्तव्य पूरा कर चुके हो।

वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि उत्तराखंडियत के एजेंडे को अपनाने और न अपनाने के प्रश्न को अब उत्तराखंड वासियों और कांग्रेस पार्टी पर छोड़ो। हरीश रावत ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट लिखा है जिसमें उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को सफलता नहीं मिली। इसके लिए उन्होंने भाजपा और संघ निशाना साधा है। उन्होंने उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विधानसभा और सचिवालय भवन बनाने का भी जिक्र किया है। उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी के संगठन की बागडोर चाहे जिसके हाथ में हो, अब उसे अपने रास्ते पर चलना चाहिए। आखिर में उन्होंने अपने पोस्ट में कहा है कि पार्टी के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे।

आगे उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा की प्रशंसा भी की है। हालांकि उन्होंने आगे लिखा है कि भारत जोड़ो यात्रा के एक महीने बाद वह देश की राजनीतिक परिस्थिति का आकलन करने के बाद भविष्य की रणनीति तय करेंगे। अपने स्पष्ट बयानों के लिए पहचाने जाने वाले हरीश रावत ने पोस्ट में यह भी लिखा है कि बहुत अधिक सक्रियता ईर्ष्या और अनावश्यक प्रतिद्वंदिता पैदा करती है। अब मेरा मन कह रहा है कि जिनके हाथों में बागडोर है, उन्हें ही रास्ता बनाने दो। वह अपने घर, गांव और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे। पार्टी की सेवा के लिए दिल्ली में एक छोटे से उत्तराखंडी बाहुल्य क्षेत्र में भी मैं सेवाएं दूंगा। पोस्ट के अंत में उन्होंने कहा है कि पार्टी जब भी बुलाएगी, वह उत्तराखंड में भी सेवाएं देने को उत्सुक बने रहेंगे।

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