पंचकेदार में चतुर्थ रुद्रनाथ धाम में तीर्थ यात्री ही नहीं, स्वयं पुजारी भी पेयजल संकट से त्रस्त हैं। स्थिति यह है कि पुजारी को धाम से एक किमी दूर स्थित तालाब से पानी लाकर अपनी गुजर करनी पड़ रही हैं। यही वजह है कि बाबा के दर्शनों को आने वाले तीर्थ यात्री व्यवस्था को कोसते हुए यहां से विदा होते हैं। हालांकि, अब बीते दस सालों से वन्य जीव विहार के नियम-कायदों में फंसी पेयजल योजना को स्वीकृति मिलने से पेयजल समस्या के निदान की आस जगी है।

पंच केदार में रुद्रनाथ धाम की यात्रा सबसे चुनौतीपूर्ण है। यहां पहुंचने के लिए तीर्थ यात्रियों को 19 किमी का सफर पैदल तय करना पड़ता है। चमोली जिले में समुद्रतल से 11808 फीट की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ धाम के लिए हक-हकूकधारीव तीर्थ यात्री लंबे समय से पेयजल आपूर्ति सुचारु करने की मांग कर रहे हैं। क्योंकि मंदिर परिसर में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है और हक-हकूकधारियों के तीर्थ यात्रियों को भी एक किमी दूर स्थित प्राकृतिक स्रोत से स्वयं पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है।

इसी को देखते हुए पेयजल निर्माण निगम ने वर्ष 2011 में तीन किमी लंबी रुद्रनाथ मंदिर पेयजल योजना का प्रस्ताव तैयार किया था। योजना की लागत 35 लाख रुपये निर्धारित की गई थी। लेकिन, जैसे ही पेयजल लाइन बिछाने के लिए पाइप मौके पर पहुंचे, एनओसी में नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड का पेंच फंस गया। नतीजा, योजना अधर में लटक गई। हालांकि, अब बोर्ड से स्वीकृति मिलने के बाद रुद्रनाथ के लिए प्रस्तावित पेयजल योजना के अस्तित्व में आने की उम्मीद है।

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