देवप्रयाग के मुल्यागांव निवासी प्रदीप रावत 10वीं गढ़वाल राइफल में तैनात थे। पलटन के साथ दिल्ली से भटिंडा (पंजाब) जाते दौरान ट्रेन हादसे में देवप्रयाग निवासी प्रदीप रावत की जान चले गई। बुधवार देर रात को उनका पार्थिव शरीर उनके गांव लाया गया। सेना के जवानों के कंधे पर तिरंगे से लिपटे ताबूत में घर पहुंचे प्रदीप के शव को देखकर परिजन बिलख पड़े। गुरुवार सुबह परिजनों ने अलकनंदा तट पर नम आंखों से विदाई दी गई। रायवाला से पहुंची सैनिक टुकड़ी ने भारतीय सेना के जवान प्रदीप को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।

शहीद प्रदीप के परिवार में पत्नी, 6 वर्षीय बेटी और 5 माह का बेटा है। प्रदीप के पिता मोर सिंह भी ट्रेन हादसे के शिकार हुए थे, जबकि कुछ वर्ष पूर्व उनके छोटे भाई दीपक की नदी में डूबने से मौत हो गई थी। शहीद प्रदीप की अंतिम यात्रा में विधायक विनोद कंडारी, पूर्व कैबिनेट मंत्री व उक्रांद नेता दिवाकर भट्ट, पूर्व ब्लॉक प्रमुख जयपाल पंवार समेत कई जनप्रतिनिधि शामिल हुए थे।

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