महाराष्ट्र में आज (19 नवंबर) 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनने की दौड़ में हैं, जबकि उनके सहयोगी दल- शिवसेना, शिवसेना (यूबीटी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और एनसीपी (एसपी) अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हैं।

चुनाव प्रचार में बड़े नेता जुटे
चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, और कांग्रेस नेता राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कई राष्ट्रीय नेताओं ने पूरे राज्य में प्रचार किया।

राज्य की 288 सीटों में से 234 सामान्य, 29 अनुसूचित जाति (एससी) और 25 अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित हैं।

4140 उम्मीदवार मैदान में
राज्य मुख्य निर्वाचन कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 7078 वैध नामांकनों में से 2938 नामांकन वापस लिए गए हैं। अब कुल 4140 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।

इन 5 सीटों पर कड़ा मुकाबला
1. वर्ली (मुंबई)
वर्ली सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है।
मिलिंद देवड़ा (शिवसेना): शहरी मध्यम वर्ग के बीच लोकप्रिय।
आदित्य ठाकरे (शिवसेना यूबीटी): 2019 में 89,248 वोटों से विजेता।
संदीप देशपांडे (मनसे): स्थानीय मुद्दों पर पकड़ के लिए चर्चित।

2. बारामती
पवार परिवार के बीच मुकाबला।
अजित पवार (एनसीपी): सात बार विजेता, 2019 में 83.24% वोट शेयर।
युगेंद्र पवार (एनसीपी-एसपी): शरद पवार के पोते, पहली बार चुनावी मैदान में।

3. वांद्रे ईस्ट
दो प्रमुख युवा नेताओं के बीच टक्कर।
जीशान सिद्दीकी (कांग्रेस): युवा और मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन।
वरुण सरदेसाई (शिवसेना यूबीटी): उद्धव ठाकरे के भतीजे, मजबूत प्रभाव।

4. नागपुर दक्षिण पश्चिम
देवेंद्र फडणवीस (बीजेपी): 2009 से लगातार विजेता, चौथी बार चुनौती।
प्रफुल्ल गुडधे (कांग्रेस): जमीनी स्तर पर प्रभावशाली।

5. कोपरी-पचपाखड़ी (ठाणे)
एकनाथ शिंदे (शिवसेना): मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता।
केदार दिघे: शिवसेना के दिवंगत नेता आनंद दिघे के भतीजे।

राजनीतिक समीकरण और संभावनाएं
इस बार चुनाव में बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन टूटने के बाद मुकाबला दिलचस्प हो गया है। एनसीपी में टूट और कांग्रेस के कमजोर संगठन के बावजूद यह चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति के नए समीकरण तय करेगा।

मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं, और राज्य में मतदान प्रतिशत पर सभी की नजरें टिकी हैं। चुनाव परिणाम महाराष्ट्र के राजनीतिक भविष्य को नया मोड़ देंगे।

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