टोक्यो पैरालंपिक से उत्तराखंड के साथ ही पूरे देश के लिए भी एक बड़ी खबर सामने आ रही है और वह ये कि पैरालंपिक में उत्तराखंड के अर्जुन अवार्डी मनोज सरकार ने यूक्रेन के खिलाड़ी अलेक्जेंडर को 28 मिनट में ही 2-0 से पराजित कर सेमीफाइनल मुकाबले में जगह बना ली है। सेमीफाइनल मुकाबले में पहुंचने पर मनोज का कांस्य पदक पक्का हो गया है। गुरुवार देर रात टोक्यो में चले मुकाबले में मनोज सरकार ने पहले सेट में ही 15 मिनट में 21-16 के स्कोर से बढ़त हासिल की। दूसरे सेट में चले मुकाबले के 13 मिनट में 21-9 के स्कोर से अलेक्जेंडर को हरा दिया। सेमीफाइनल मुकाबले में पहुंचने पर मनोज का कांस्य पदक पक्का हो गया है।

इधर, खेल प्रेमियों ने मनोज के सेमीफाइनल मुकाबले में पहुंचने पर सोशल मीडिया में बधाई संदेश का तांता लगा दिया है। मनोज की पत्नी रेवा सरकार ने बताया कि सुबह से ही रिश्तेदारों ने फोन कर  बधाइयां देना शुरू कर दी हैं। पहले मुकाबले में ओडिशा के अर्जुन अवार्डी व विश्व के नंबर वन खिलाड़ी प्रमोद भगत ने मनोज सरकार को 2-1 के स्कोर से पराजित किया है। दूसरे मुकाबले में खेल प्रेमियों को मनोज से पूल मैच जीतने की उम्मीद थी। उत्तराखंड के मूल निवासी मनोज सरकार का बचपन बेहद गरीबी में बीता। उनकी मां जमुना सरकार बीड़ी बनाने और मटर तोडऩे का काम करती थीं। लेकिन, इसके बावजूद मनोज की मां ने खुद के साथ ही परिवार का भी हौसला कभी कमजोर नहीं होने दिया।

उन्होंने कोच की तरह हर कदम पर अपने बेटे मनोज का मनोबल बढ़ाया। मनोज पहली बार वर्ष 2011 में राष्ट्रीय बने थे। उन्हें मां के आशीर्वाद और कोच पीके सेन (अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन के पिता) मार्गदर्शन से सफलताएं मिलती गईं। मनोज अपनी मां को ही अपना आदर्श मानते हैं। फिलहाल, उनकी मां अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अब वो जहाँ भी होंगी वहीँ से अपने बेटे की इस ऐतिहासिक सफतला से खुश होंगी। आपको बता दें बचपन से ही उन्हें बैडमिंटन खेलने का शौक था। वह पहले अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेला करते थे। लेकिन उनकी शटल टूटने पर बच्चे उन्हें अपने साथ खेलने नहीं देते थे। जिसके बाद उन्होंने अपने से बड़ी उम्र के खिलाड़ियों के साथ खेलना शुरू किया। लेकिन पांव में कमजोरी के चलते उन्हें कईं बार लोग लंगड़ा कहकर भी चिढ़ाते थे। इससे परेशान होकर उन्होंने बैडमिंटन खेलने का विचार छोड़ दिया था। फिर टीवी में बैडमिंटन की वॉल प्रैक्टिस (दीवार में शटल को मारकर प्रैक्टिस) देखने के बाद उन्होंने घर पर ही अभ्यास शुरू किया था।

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